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पित्ताशय अश्मरी (Gall Bladder Stone)

भारतीय आबादी में 4 प्रतिशत लोगों में गॉल ब्लेडरस्टोन के लक्षण पाए जाते हैं। गॉल ब्लेडर स्टोन के मामले भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में तेज गति से बढ़ रहे हैं। सामान्यतः यह 30 साल से 50 साल तक के महिला वर्ग में पाया जाता है। महिलाओं में यह रोग पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा पाया जाता है। भारत के उत्तरी व मध्य भाग के लोगों में यह सात गुना अधिक पाया जाता है।

पित्त की थैली में पथरी बनने का क्या कारण है ?

आमतौर पर यह यकृत द्वारा मेद (चर्बी) की पाचन संबंधी, प्रक्रियाओं में गडबडी के कारण होता है। यदि यकृत के पित्त में कोलेस्ट्रॉल या अपचित मेद का उत्सर्जन अधिक करता है तो अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल और अंततः पथरी में बदल जाता है।

किन लक्षणों से पहचानें कि यह पित्त की थैली के कारण है।

पेट के दाहिने भाग व ऊपर की तरफ भयंकर दर्द होना, कमर दर्द या दाएं कंधे में दर्द होना, उलटी या उल्टी का मन होना

अगर सही समय पर इलाज ना कराया जाए ?

अगर सही समय पर पित्ताशय अश्मरी का इलाज ना किया जाये तो पीलिया, पेनक्रियेटाइटिस पेरिटोनाइटिस,कैंसर होना व अत्यन्त गंभीर स्थिति में पित की थैली का फटना, तुरंत ऑपरेशन द्वारा बाहर निकालने जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

पित्त की थैली में पथरी का क्या इलाज है ?

इस रोग को अल्ट्रासाउण्ड की मदद से पता लगाया जा सकता है। 6mm या इससे कम साइज की पथरी आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से निकाली जा सकती है, परंतु 6mm से अधिक साइज में ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।

बचाव ही इलाज है ?

  • प्रोटीन, वसा व अनाज की मात्रा सीमित करें।
  • डिब्बाबंद,तले-भुने पदार्थों का इस्तेमाल कम से कम करें।
  • भयंकर पेट दर्द होने पर, त्वचा व आँखों का रंग पीला पड़ने पर ,बुखार या उल्टी होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करे