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अत्यधिक पसीना आना अतिस्वेदलता/हाईपरहायड्रोसिस
यह बीमारी की एक ऐसी अवस्था है जिसमें सामान्य से अत्यधिक पसीना आता है।
अधिकांशत: पसीना हथेलियों और तलवों में अधिक आता है।
एक साधारण मनुष्य के शरीर पर 20-40 लाख तक पसीने की ग्रंथियाँ होती है।
पसीने में 99% पानी, कुछ मात्रा में नमक,प्रोटीन व यूरिया होते हैं।
पित्ताशय अश्मरी (Gall Bladder Stone)
भारतीय आबादी में 4 प्रतिशत लोगों में गॉल ब्लेडरस्टोन के लक्षण पाए जाते हैं। गॉल ब्लेडर स्टोन के मामले भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में तेज गति से बढ़ रहे हैं। सामान्यतः यह 30 साल से 50 साल तक के महिला वर्ग में पाया जाता है। महिलाओं में यह रोग पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्यादा पाया जाता है। भारत के उत्तरी व मध्य भाग के लोगों में यह सात गुना अधिक पाया जाता है।
जुकाम/पुराना नजला
पुराना नजला, जुकाम एक साधारण परेशानी है। कई बार यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया भी हो सकती है जैसे कि बदलता मौसम, धूल, धुंआ, मिट्टी इत्यादि। शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसे जीवन में कभी जुकाम ना हुआ हो। वैश्विक स्तर पर भी हर उम्र के लोग इससे पीडित होते हैं। 16वीं शताब्दी में इसे "आम जुकाम "के नाम से जाना जाता था जो ठंड लगने के कारण होता था, जिसका एकमात्र उपचार ज़िंक विकसित किया गया था। यूनाइटम किंगडम में, द कॉमन कोल्ड यूनिट (CCU) की स्थापना 1946 में की गई थी। अधिक पाया जाता है।