अत्यधिक पसीना आना / अतिस्वेदलता / हाईपरहायड्रोसिस
यह बीमारी की एक ऐसी अवस्था है जिसमें सामान्य से अत्यधिक पसीना आता है। अधिकांशत: पसीना हथेलियों और तलवों में अधिक आता है। एक साधारण मनुष्य के शरीर पर 20-40 लाख तक पसीने की ग्रंथियाँ होती है। पसीने में 99% पानी, कुछ मात्रा में नमक,प्रोटीन व यूरिया होते हैं।
किन कारणों से अत्यधिक पसीना आता है?
- निराशा
- उत्तेजना
- चटपटी भोज्य वस्तुओं का अत्यधिक सेवन
- मोटापा
- बदलता मौसम
हाइपरहाइड्रोसिस के प्रकार-
क) प्राइमरी/फोकल -
जब पसीना हाथ, पैर,बगल में ज्यादा प्रभावित करता है तो इसे प्राथमिक / फोकल हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं।
- इस प्रकार के अधिकतर व्यक्तियों में कारण अनुवांशिक प्रतीत होते हैं।
ख) द्वितीयक हाइपरहाइड्रोसिस -
- पसीना पूरे क्षेत्र में या एक क्षेत्र में हो सकता है।
- दवाओं का अनुचित प्रयोग
- ग्लूकोस नियंत्रण के विकार
- हृदयरोग
- फुफ्फुस रोग
- हाइपरथायरोइडिजम
- रजोनिवृत्ति
- मस्तिष्क आघात
- मेरुदण्ड पर आघात
अतिस्वेदलता/हाइपरहाइड्रोसिस-
- जिस व्यक्ति को यह बीमारी हो जाती है, तो उसे बिना तनाव या घबराहट के भी पसीना आता है। पसीना इतना ज्यादा होता है कि कपड़े भी गीले रहते हैं।
- ज्यादातर लोगों को पूरे शरीर पर पसीना आता है, लेकिन कुछ लोगों को सिर्फ सिर पर माथे पर/ चेहरे पर/ नाक /बगल /पेट / पीठ/गर्दन/ हथेलियों / तलवों पर पसीना आता है।
- कुछ लोगों को कुछ खास समय ही पसीना आता है,जैसे- सिर्फ सोते समय ही पसीना आना, करवट लेते ही दूसरी साइड पसीना आना, सोकर उठते ही पसीना आना, सिर्फ चलते समय ही पसीना आना, रात-दिन पसीना बहना, सिर्फ खाना खाते समय ही पसीना आना, नहाकर आते ही पसीना आना, जरा-सी मेहनत करते ही पसीना आना, किसी रोग के बाद पसीना ज्यादा आना ।
निवारण-
- अपने कपड़ों को नियमित रूप से धोएं।
- नहाने के बाद शरीर पर पाउडर या कॉर्न स्टार्च छिड़के ।
- चाय, कॉफी, चोकलेट, कैफीन युक्त खाद्य पेय पदार्थों का प्रयोग कम से कम करें।
- मौसम के अनुसार फल व सब्जियों का सेवन करें।
- ढेर सारा पानी पीयें।
- नियमित रूप से हाथ धोयें या एल्कोहल वाला हैंड सेनिटाइजर प्रयोग करें।
- ध्यान , योग और प्राणायाम के द्वारा शांत रहें।
- आयुर्वेदीय औषधियों का प्रयोग करें।
- इस बीमारी का ईलाज पुष्पलता आयुर्वेदा हॉस्पिटल पर किया जाता है। संपर्क सूत्र-7206129402
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